
ऋषिकेश: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की पावन यात्रा अपने आध्यात्मिक तेज और दिव्यता के साथ केशगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब से आरंभ होकर ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब तक पहुँची। यात्रा के गुरुद्वारा परिसर में प्रवेश करते ही वातावरण पूरी तरह गुरु-महिमा, श्रद्धा और कीर्तन की मधुर ध्वनियों से गूंज उठा। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं की भीड़ ने यात्रा का स्वागत बड़ी विनम्रता और आध्यात्मिक उत्साह के साथ किया।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब में प्रवेश के समय उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य गगनदीप सिंह बेदी ने संगत का पारंपरिक और अत्यंत सम्मानजनक ढंग से स्वागत किया। उन्होंने यात्रा दल पर पुष्प वर्षा की, जिससे पूरा मार्ग रंग-बिरंगे फूलों से ढक गया और वातावरण में भक्ति तथा भावनाओं का अद्भुत संगम दिखाई दिया। श्रद्धालु, बुज़ुर्ग, महिलाएँ, बच्चे और नौजवान, सब अपने हाथों में निशान साहिब लिए, “जो बोले सो निहाल… सत श्री अकाल!” के जयकारों के साथ आगे बढ़ रहे।

दरबार साहिब में पहुँचकर संगत ने बड़ी श्रद्धा से माथा टेका और श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की दृढ़ता, त्याग, बलिदान और अद्वितीय मानवतावादी संदेश को स्मरण किया। कीर्तन की धुनों और गुरु-वाणी के नाद से पूरा दरबार विशेष रूप से गूँज उठा। श्रद्धालुओं ने गुरु साहिब के जीवन से जुड़े प्रसंगों को सुना, उनके बलिदान को महसूस किया और अपने भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होते हुए पाया।
यह पावन यात्रा 24 दिसंबर तक विभिन्न स्थानों पर गुरमत समागम, शब्द-कीर्तन, अरदास, सेवा और संगत के मिलन से आगे बढ़ती रहेगी। पूरे मार्ग में भक्तों की सेवा, लंगर और गुरु-स्मरण का ऐसा दृश्य बन रहा है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामुदायिक एकता और मानवता के संदेश को जीवंत करता है। यात्रा की रौनक, श्रद्धालुओं का उत्साह और गुरु साहिब के प्रति गहरा सम्मान, इन सबने इसे एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बना दिया है।

